SQL में Constraints डेटा की Validity और अखंडता (data integrity) बनाए रखने के लिए उपयोग किए जाते हैं। Constraints यह सुनिश्चित करते हैं कि डेटाबेस में संग्रहीत डेटा नियमों और शर्तों का पालन करता है। SQL में विभिन्न प्रकार के Constraints होते हैं, जिनमें से प्रत्येक का उपयोग विशेष डेटा प्रतिबंध लगाने के लिए किया जाता है।
Types of constraints in SQL
यहाँ SQL के मुख्य Constraints और उनके उदाहरण हिंदी में दिए गए हैं:
1. NOT NULL Constraint
NOT NULL
Constraint का उपयोग यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है कि किसी कॉलम में NULL (खाली) मान न हो। इसका मतलब है कि उस कॉलम में हमेशा एक वैध डेटा होना चाहिए।- उदाहरण: नीचे दिए गए उदाहरण में,
Name
कॉलम में NULL मान नहीं हो सकता है।
CREATE TABLE Students (
ID INT,
Name VARCHAR(50) NOT NULL,
Age INT
);
- इस टेबल में
Name
कॉलम खाली नहीं छोड़ा जा सकता।
2. UNIQUE Constraint
UNIQUE
Constraint का उपयोग किसी कॉलम में अद्वितीय (unique) मान रखने के लिए किया जाता है। इसका मतलब है कि उस कॉलम में दोहराव (duplicate) मान नहीं हो सकता।- उदाहरण:
Email
कॉलम पर UNIQUE Constraint लगाने के लिए:
CREATE TABLE Students (
ID INT,
Name VARCHAR(50),
Email VARCHAR(100) UNIQUE
);
- अब
Email
कॉलम में प्रत्येक छात्र का ईमेल अलग होना चाहिए।
3. PRIMARY KEY Constraint
PRIMARY KEY
Constraint का उपयोग किसी कॉलम या कॉलम के समूह को टेबल की विशिष्ट पहचान (unique identifier) बनाने के लिए किया जाता है। इसमें न केवल अद्वितीय मान होने चाहिए, बल्कि NULL भी नहीं हो सकता।- उदाहरण:
CREATE TABLE Students (
ID INT PRIMARY KEY,
Name VARCHAR(50),
Age INT
);
- यहाँ
ID
कॉलम को PRIMARY KEY घोषित किया गया है, यानी इसमें NULL मान नहीं हो सकता और यह टेबल में प्रत्येक Row के लिए Unique होना चाहिए।
4. FOREIGN KEY Constraint
FOREIGN KEY
Constraint का उपयोग किसी टेबल को दूसरी टेबल के साथ लिंक (link) करने के लिए किया जाता है। यह एक कॉलम को दूसरी टेबल के PRIMARY KEY से जोड़ता है, ताकि डाटा संबंध (relationship) बनाए रखा जा सके।- उदाहरण:
CREATE TABLE Courses (
CourseID INT PRIMARY KEY,
CourseName VARCHAR(100)
);
CREATE TABLE Students (
ID INT PRIMARY KEY,
Name VARCHAR(50),
CourseID INT,
FOREIGN KEY (CourseID) REFERENCES Courses(CourseID)
);
- यहाँ
Students
टेबल मेंCourseID
कॉलम,Courses
टेबल केCourseID
कॉलम से जुड़ा है। इसका मतलब है किStudents
टेबल में मौजूदCourseID
केवल उन्हीं मानों को स्वीकार करेगा जोCourses
टेबल में पहले से मौजूद हैं।
5. CHECK Constraint
CHECK
Constraint किसी कॉलम में डाले गए डेटा के लिए एक विशेष शर्त (condition) लगाता है। इससे डेटा को सीमाओं में रखा जा सकता है।- उदाहरण:
Age
कॉलम के लिए CHECK Constraint जो सुनिश्चित करता है कि उम्र 18 से अधिक हो।
CREATE TABLE Students (
ID INT,
Name VARCHAR(50),
Age INT CHECK (Age >= 18)
);
- यहाँ
Age
कॉलम में केवल वे मान स्वीकार किए जाएंगे जो 18 या उससे अधिक हैं।
6. DEFAULT Constraint
DEFAULT
Constraint का उपयोग किसी column के लिए Default Value सेट करने के लिए किया जाता है। यदि उस column में कोई value provide नहीं किया जाता है, तो यह Default मान auto लागू हो जाएगा।- उदाहरण:
Country
Column का Default Value “India” सेट करना।
CREATE TABLE Students (
ID INT,
Name VARCHAR(50),
Country VARCHAR(50) DEFAULT 'India'
);
- यदि
Country
कॉलम में मान प्रदान नहीं किया जाता है, तो यह “India” सेट हो जाएगा।
7. AUTO_INCREMENT Constraint (मुख्यतः MySQL में उपयोग होता है)
AUTO_INCREMENT
Constraint का उपयोग किसी कॉलम में स्वतः वृद्धि (auto-increment) संख्या जोड़ने के लिए किया जाता है। यह मुख्य रूप से PRIMARY KEY के साथ उपयोग किया जाता है, जिससे प्रत्येक नई प्रविष्टि के लिए एक नया ID स्वतः उत्पन्न होता है।- उदाहरण:
CREATE TABLE Students (
ID INT AUTO_INCREMENT PRIMARY KEY,
Name VARCHAR(50)
);
- यहाँ प्रत्येक नए छात्र के लिए
ID
कॉलम का मान स्वतः एक से बढ़ेगा।
ये SQL के मुख्य Constraints हैं जो डेटा की वैधता, अखंडता और अद्वितीयता बनाए रखने में सहायता करते हैं। Constraints का उपयोग डेटाबेस को सुसंगत और विश्वसनीय बनाने के लिए किया जाता है।